संतान कैसी होगी और उसका स्वभाव कैसा होगा ये माता-पिता पर निर्भर करता है। किसी भी बच्चे को पहली शिक्षा उसके घर से मिलती है और वहां से सीखी हुई अच्छी और बुरी आदतें ही वो बाहर दिखाता है। सभी माँ-बाप चाहते हैं कि उनकी संतान योग्य और स्वस्थ हो। बच्चे का जीवन कैसा होगा ये उसके पूर्व कर्मों पर भी निर्भर करता है। शास्त्रों के अनुसार Garud Puran में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिससे गुणी और सक्षम बच्चे का जन्म होता है।
Garud Puran में ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनका गर्भाधान के समय पालन करने से श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति होती है। एक उत्तम संतान पाने से परिवार की प्रतिष्ठा समाज में अच्छी बनी रहती है और परिवार का मान सम्मान बढ़ता है। अच्छी संतान की इच्छा हर पति-पत्नी की होती है। 18 महापुराणों में से Garud Puran को सबसे श्रेष्ठ माना गया है। गरुड़ पुराण के 15वें अध्याय में संतान प्राप्ति के लिए कुछ नियम बताए गए हैं जिससे चरित्रवान और सत्यवान संतान की प्राप्ति होती है।
सर्वोत्तम संतान पाने के लिए इन Garud Puran में दिए गए चरणों का पालन करें
Garud Puran के 15वें अध्याय के अनुसार उत्तम संतान के उपाय करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ती है। आइये जानते हैं गरुड़ पुराण के अनुसार पुत्र प्राप्ति के उपाय के बारे में –
- गुणवान और भाग्यशाली संतान पाने के लिए, महावारी से शुद्ध होने के आठवें और 14वें दिन को संपर्क बनाने के लिए शुभ माना जाता है।
- Garud Puran के अनुरूप महावारी के वक्त महिला से संपर्क नहीं रखना चाहिए। इस समय उनका शरीर अशुद्ध होता है और संतान प्राप्ति के लिए अशुभ काल माना जाता है।
- उत्तम चरित्र और बुद्धिमान संतान के लिए, महावारी के 7 दिनों के बाद ही गर्भाधान का प्रयास करना चाहिए।
- Garud Puran के अनुरूप सम दिनों में गर्भधारण करने से पुत्र प्राप्ति का सुख मिलता है और विषम दिनों में गर्भधारण करने से पुत्री प्राप्ति का सुख मिलता है।
- जो पति-पत्नी पुत्र की प्राप्ति करना चाहते हैं उन्हें महिला का मासिक धर्म समाप्त होने के 8वें, 10वें, 12वें, 14वें और 16वें दिन गर्भाधान का प्रयास करना चाहिए।
- गर्भधारण के समय पति पत्नी का व्यवहार सकारात्मक होना चाहिए क्योंकि इसका असर आने वाली संतान पर होता है। इसके साथ ही नौ महीने तक मां का आचरण अच्छा रहना चाहिए, पूजा पाठ करना इस समय बहुत शुभ माना जाता है ऐसा करने से संतान में अच्छे संस्कार आते हैं।
- महावारी से शुभ होने के 7 दिन तक महिला का शरीर कामजोर होता है इसलिए इस समय गर्भाधान नहीं करना चाहिए। ऐसा ना करने से मां और बच्चे दोनों की सेहत पर गलत प्रभाव पड़ता है।
- सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार गर्भधारण करने के लिए शुभ दिन माना जाता है। इसके साथ ही अष्टमी, दशमी और बारहवीं तारीख को भी शुभ माना जाता है।
- Garud Puran के अनुसार रोहिणी, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, पुनर्वसु, पुष्य, स्वाति, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, उत्तराषाढ़ा और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रों को गर्भधारण के लिए शुभ माना गया है।
- गर्भधारण के समय मां को अच्छे विचार रखने चाहिए और दान करना शुभ माना जाता है।
निष्कर्ष
हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी संतान कुशल, बुद्धिमान और सुंदर हो। घर से मिलें संस्कारों के अलावा, शस्त्रों में ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनको करने से उत्तम संतान प्राप्ति की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। Garud Puran में श्रेष्ठ संतान के लिए गर्भाधान के समय किए जाने वाले उपाय और शुभ समय का भी उल्लेख है। ऐसे उपायो को अपने से गुणवान और यशस्वी संत जन्म लेती है।
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