ज्योतिष शास्त्र में अनेक योगों का वर्णन किया गया है, जिनमें शुभ और अशुभ योगों का विशेष महत्व है। इन्हीं योगों में से एक है “Shubh Kartari Yog”। यह योग तब बनता है जब कुंडली के किसी भाव के दोनों ओर शुभ ग्रह स्थित होते हैं। यह योग व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक प्रभाव डालता है और उसे मान-सम्मान, धन-समृद्धि, और सुख प्रदान करता है। इस लेख में हम शुभ कर्तरी योग के निर्माण, उसके लाभ और प्रभावों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
शुभ कर्तरी योग तब बनता है जब किसी भाव के आगे और पीछे दो शुभ ग्रह स्थित होते हैं। आमतौर पर ये शुभ ग्रह बृहस्पति, शुक्र, चंद्रमा और बुध होते हैं। इस योग का निर्माण विशेष रूप से उस भाव की ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे उस भाव के कारक तत्वों में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए, यदि यह योग धन भाव में बनता है, तो व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यदि यह विवाह भाव में बनता है, तो व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है।
Shubh Kartari Yog व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक प्रभाव लाता है। इसके कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
शुभ कर्तरी योग व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार के लाभ लेकर आता है। इसे कुंडली में देखने पर ज्योतिषाचार्य व्यक्ति को सफलता के उच्च स्तर तक पहुंचने की भविष्यवाणी करते हैं। कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
– सफलता और यश: इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। उसके द्वारा किए गए कार्यों में उसे प्रशंसा मिलती है।
– धन की प्राप्ति: आर्थिक दृष्टि से इस योग के प्रभाव से व्यक्ति को धन का निरंतर प्रवाह मिलता है। उसे व्यापार या नौकरी में उन्नति प्राप्त होती है।
– विवाहिक सुख: जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग बनता है, उनका वैवाहिक जीवन अत्यधिक सुखमय होता है। उनके जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध रहते हैं।
– स्वास्थ्य और जीवनशक्ति: यह योग स्वास्थ्य को मजबूत करता है। व्यक्ति रोगों से मुक्त रहता है और उसमें जीवनशक्ति की वृद्धि होती है।
कुंडली में कई बार शुभ कर्तरी योग अन्य योगों के साथ मिलकर व्यक्ति के जीवन को और भी उन्नत बनाता है। उदाहरण के लिए, यदि इस योग के साथ गजकेसरी योग भी बनता है, तो व्यक्ति अत्यधिक धनवान और प्रतिष्ठित होता है। इसी प्रकार, यदि नीचभंग राजयोग और शुभ कर्तरी योग एक साथ बनते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में अप्रत्याशित रूप से ऊंचाइयां प्राप्त होती हैं।
शुभ कर्तरी योग के विपरीत पाप कर्तरी योग तब बनता है जब किसी भाव के दोनों ओर अशुभ ग्रह होते हैं, जैसे शनि, राहु, केतु, सूर्य और मंगल। पाप कर्तरी योग व्यक्ति के जीवन में बाधाएं उत्पन्न करता है। उसे संघर्ष, वित्तीय समस्याएं और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होती हैं। जबकि शुभ कर्तरी योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवन में स्थायित्व और सुख प्राप्त करता है, पाप कर्तरी योग से व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
शुभ कर्तरी योग की पहचान कुंडली के विश्लेषण से होती है। ज्योतिषाचार्य कुंडली के बारह भावों को ध्यानपूर्वक देखते हैं और यह जांचते हैं कि किसी भाव के आगे और पीछे कौन से ग्रह स्थित हैं। यदि शुभ ग्रह उस भाव के दोनों ओर स्थित हों, तो वह शुभ कर्तरी योग माना जाता है। इसका विशेष रूप से ध्यान कुंडली में लग्न भाव, धन भाव, विवाह भाव और अन्य प्रमुख भावों में दिया जाता है।
शुभ कर्तरी योग व्यक्ति के जीवन में अत्यधिक शुभता लेकर आता है। यह योग उसे जीवन में सफलता, धन, सुख, स्वास्थ्य और यश प्रदान करता है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में यह योग बनता है, उन्हें विशेष रूप से सम्मान, प्रसिद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य कुंडली में इस योग को देखते हुए व्यक्ति को उचित परामर्श देते हैं ताकि वह इस योग के अधिकतम लाभ उठा सके।
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