हिंदू धर्म अपने विभिन्न सांस्कृतिक मूल्यों के कारण पूरी दुनिया में प्रशंसित है। भारत एक ऐसा देश है जहां हर त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी के समापन के बाद, अब राधा अष्टमी का समय है। राधाष्टमी, कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के 15 दिनों के बाद आती है। Radha Ashtami 2024, 11 सितंबर को मनाई जाएगी। यह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि राधारानी के जन्म का जश्न मनाने और उनकी पूजा करने से भक्तों को भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है।
भगवान कृष्ण और राधा के रिश्ते से हर कोई वाकिफ है। राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने से भक्त अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सकते हैं। राधा अष्टमी का त्यौहार भी उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, जिस हर्षोल्लास के साथ जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। इस खास अवसर पर भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करके अनुष्ठान करने की परंपरा है। भक्तों को अपने घर में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए “ओम ह्रीं श्री राधिकायै नमः” मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इससे सारी नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है। पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी का व्रत रखने के बाद राधा रानी की पूजा करना महत्वपूर्ण है।
राधा अष्टमी के शुभ अवसर पर भक्त भगवान कृष्ण और राधारानी का आशीर्वाद पाने के लिए व्रत रखते है और उनकी पूजा करते है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 सितंबर को रात्रि 11 बजकर 11 मिनट से आरंभ होगी और अगले दिन 11 सितंबर को रात्रि 11 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए राधा अष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी। इसके साथ ही राधा अष्टमी के दिन 2 शुभ योग बनेंगे – प्रीति योग और आयुष्मान योग। राधा अष्टमी की पूजा प्रीति योग में की जाएगी।
राधा अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठें। इसके बाद स्नान करके साफ कपड़े पहने। दिन की शुरुआत मंदिर की सफाई करके और सूर्य देव को जल चढ़ाकर करें। अब चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। उस पर राधा रानी और भगवान कृष्ण की मूर्ति रखें। पंचोपचार करें और राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। देसी घी का दीया जलाएं और आरती करके मंत्रों का जाप करें। पूरे दिन उपवास रखें और केवल एक समय ही भोजन करें। शाम के समय विधिवत पूजा और आरती करें। अंत में सबसे पहले भगवान को फल और मिठाई का भोग लगाकर फल खाएं। अगले दिन पूजा करके व्रत खोलें। विवाहित महिलाओं और ब्राह्मणों को भोजन करवाना इस दिन शुभ होता है।
कहा जाता है कि भगवान कृष्ण की कृपा पाने के लिए राधारानी की पूजा करना जरूरी है। राधा रानी देवी लक्ष्मी का अवतार थीं। इसलिए राधा अष्टमी के अवसर पर व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। राधारानी प्रेम और भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण थीं। इसलिए, जो भक्त अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं, उन्हें इस शुभ दिन पर उनकी पूजा करनी चाहिए।
इसके अलावा राधा रानी को कुमकुम का तिलक और भगवान कृष्ण को हल्दी और चंदन का तिलक लगाना भी याद रखें। अगर कोई अपने प्रेमी से शादी करना चाहता है तो उसे एक पत्ते पर अपने प्रेमी का नाम लिखना होगा और उसे राधा रानी के चरणों में अर्पित करना होगा। इस उपाय को करने से साधक को अपने प्रेमी का जीवन भर साथ मिलता है। यानी कि अपने प्रेमी से जीवनसाथी के रूप में विवाह करने को मिलता है।
राधा जी निःस्वार्थ प्रेम की मिसाल हैं। उनका प्रेम इतना पवित्र था कि उन्हें हमेशा भगवान कृष्ण के साथ पूजा जाता था। इस शुभ दिन पर उनकी पूजा करने वाले भक्तों को देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है।
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