भारतीय सभ्यता में धन का महत्व अत्यधिक है। विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में धन को ध्यान में रखने की परंपरा है। धनतेरस विशेष रूप से हिन्दू समुदाय में मनाया जाता है और यह वर्ष 2023 में 10 नवंबर को पड़ रहा है। इस खास त्योहार के पीछे भगवान धन्वंतरि और धन लक्ष्मी की कई महत्वपूर्ण कथाएँ हैं। यहां Dhanteras 2023 के महत्व, इतिहास, कहानियों और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी दी जाएगी।
धनतेरस को धन और धन के देवता धन्वंतरि की पूजा का अवसर माना जाता है। इस दिन लोग सोने और चांदी की खरीददारी करते हैं और यह माना जाता है कि इससे उन्हें आने वाले साल में धन लाभ होगा। विशेष रूप से व्यापारी वर्ग के लोग इस दिन अपने व्यवसाय में नई शुरुआत करते हैं और लेन-देन करते हैं।
धनतेरस, हिन्दू परंपरा में विभिन्न हिस्सों में उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। धनतेरस का मतलब होता है ‘धन’ और ‘तेरस’ जो कि त्रयोदशी का हिंदी रूपांतरण है।
प्राचीन काल में:
वेदों और पुराणों के अनुसार, धनतेरस का उल्लेख बहुत प्राचीन समयों में होता है। यह पर्व भगवान धन्वंतरि के उत्थान के अवसर पर मनाया जाता है। भगवान धन्वंतरि आयुर्वेद के पिता माने जाते हैं और उनका संबंध रस, चिकित्सा और उष्ण तत्वों से है। इसलिए धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है।
महाभारत काल में:
महाभारत महकाव्य में भी धनतेरस का उल्लेख है। यह कहा जाता है कि पाण्डव वीर अपने वनवास के दौरान राजा विराट के राजमहल में गुप्त रूप से रहते थे और धनतेरस को अपना गुप्त धन खोजने के लिए मांगी थी। इसे देखकर राजा विराट का पुत्र उत्तर ने अपनी माता की गहनों से सुवर्ण अभूषण देने का फैसला किया था, जो उनकी बहन की शादी में उपयोग किये जाने वाले थे। इस तरह पाण्डव वीरों को अपना गुप्त रूप से रखा गया।
गुप्त राजवंश काल में:
गुप्त राजवंश के उत्थान के दौरान भारतीय समाज में धर्मिक और सांस्कृतिक आयामों का विकास हुआ था और धनतेरस जैसे पर्वों को मनाने का परंपरागत रूप दिखाया था।
आधुनिक युग में:
आज के आधुनिक युग में भी धनतेरस को धन और समृद्धि का पर्व माना जाता है। लोग इस दिन सोने और चांदी की खरीददारी करते हैं, नई सामग्री खरीदते हैं और व्यवसाय के लिए नए आरंभ करते हैं।
धनतेरस एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। इसके इतिहास में धन्वंतरि भगवान और धन लक्ष्मी की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ हैं जो धर्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ जुड़ी हैं।
– धन्वंतरि और देवासुर मंथन:
एक पुरानी कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच अमृत मंथन (समुद्र मंथन) के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वे देवताओं को अमृत देने के लिए उत्साहित करते हैं। असुरों ने यह देख लिया और भगवान धन्वंतरि के पीछे दौड़े। धन्वंतरि भगवान ने देवताओं को अमृत दिलाने के लिए असुरों को धमकाया। इसके परिणामस्वरूप, देवताओं के हाथ अमृत चला गया और असुरों को कुछ भी नहीं मिला।
– कुबेर और लक्ष्मी:
एक और कथा के अनुसार, धनतेरस के दिन भगवान कुबेर लोक का दरबार सजाते हैं। भगवान कुबेर धन के देवता माने जाते हैं और उन्हें धन लाभ करने का वरदान दिया जाता है। इस दिन भगवान लक्ष्मी भी उनके साथ रहती हैं जिन्होंने व्रत का पालन किया है। यह एक समाजिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है जिसमें लोग आपसी मिलन-जुलन करते हैं और धन समृद्धि की कामना करते हैं।
धनतेरस का पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस साल, धनतेरस 10 नवंबर को दोपहर 12:35 बजे से आरंभ होकर 11 नवंबर को दोपहर 01:57 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:02 बजे से लेकर रात 08:00 बजे तक करीब 1 घंटा 58 मिनट तक रहेगा। हालांकि, उन व्रती लोगों के लिए जो धनतेरस के दिन उपवास रखते हैं, उन्हें 11 नवंबर को ही उपवास करना चाहिए, क्योंकि 11 नवंबर को प्रदोष काल रहेगा।
धनतेरस पर इन वस्त्रों की खरीददारी करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है, जो धन और समृद्धि की प्राप्ति में मदद करते हैं। यह एक व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण पर्व है जो लोग धन और धनवान होने की कामना से मनाते हैं।
धनतेरस एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए विशेष रूप से मनाया जाता है। इसके पीछे भगवान धन्वंतरि और धन लक्ष्मी की कई महत्वपूर्ण कथाएँ हैं जो विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं के साथ जुड़ी हैं। इस Dhanteras 2023 पर शुभ मुहूर्त में पूजा और सोने-चांदी की खरीददारी करने से लोग आने वाले साल में धन और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
आप सभी को Dhanteras 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं।
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