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Buddha Purnima: ज्ञान, करुणा और आत्मशुद्धि का पर्व

Posted On: May 5, 2025

Buddha Purnima केवल भगवान बुद्ध के जन्म की वर्षगांठ नहीं है, बल्कि यह दिन उनके जीवन की तीन सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रतीक है — जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण। यही कारण है कि यह दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान बुद्ध ने जिस दिन जन्म लिया, उसी दिन उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, और वर्षों बाद इसी तिथि को उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।

हर वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा को यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और साधना के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में Buddha Purnima 12 मई को पड़ेगी। इस बार का पर्व और भी विशेष है, क्योंकि इस दिन का ज्योतिषीय संयोग अत्यंत शुभ माना जा रहा है। ऐसे योगों में ध्यान, दान और पुण्य का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

भगवान बुद्ध के प्रमुख उपदेश

भगवान बुद्ध ने जीवन को समझने और उसे सुधारने की दिशा में अनेक मार्गदर्शन दिए। उनके उपदेश आज भी मानवता के लिए दीपस्तंभ हैं।

चार आर्य सत्य:

  1. यह संसार दुःख से भरा है।
  2. इच्छाएँ ही दुःख का मूल कारण हैं।
  3. इच्छाओं का त्याग करने से दुःख से मुक्ति संभव है।
  4. इस मुक्ति का मार्ग है — अष्टांगिक मार्ग

अष्टांगिक मार्ग के आठ सिद्धांत:

  • सही दृष्टिकोण
  • सही नीयत
  • सही वाणी
  • सही आचरण
  • सही जीवन यापन
  • सही प्रयास
  • सही जागरूकता
  • सही एकाग्रता

यह मार्ग आत्मविकास और आत्मबोध का जरिया है, जो अंततः परम शांति की ओर ले जाता है। भगवान बुद्ध का विश्वास था कि हर इंसान अपने कर्मों के बल पर स्वयं को बदल सकता है। उन्होंने कर्म के सिद्धांत को भी बल दिया — जैसा कर्म, वैसा फल। इस शिक्षा के कारण बुद्ध का दर्शन व्यक्तिगत जिम्मेदारी, नैतिक आचरण और सहानुभूति का प्रतीक बन गया।

कैसे मनाई जाती है Buddha Purnima?

  • पूजन और प्रार्थना: बौद्ध मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं। भिक्षु और अनुयायी मिलकर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का पाठ करते हैं।
  • तीर्थस्थलों की यात्रा: बोधगया, लुंबिनी और सारनाथ जैसे पवित्र स्थलों पर भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते हैं।
  • शाकाहार और उपवास: मांसाहार से दूरी बनाई जाती है और शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है। कई लोग उपवास रखते हैं।
  • ध्यान और चिंतन: बुद्ध की शिक्षाओं पर चिंतन करते हुए लोग ध्यान, जर्नलिंग और आत्ममंथन करते हैं।
  • सेवा कार्य: गरीबों की सेवा, वृद्धाश्रम में भोजन वितरण, और जरूरतमंदों को सहायता देने की परंपरा निभाई जाती है।

Buddha Purnima पर किए जाने वाले विशेष उपाय:

  1. दान करें: अन्न, वस्त्र, जल, फल, दवाइयाँ, और गौसेवा जैसे कार्य पुण्यफल प्रदान करते हैं।
  2. दीपक जलाएं: कमल के आकार या चंदन से बने दीपक जलाना मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
  3. बोधि वृक्ष की पूजा: पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं, दीपक जलाएं और तीन परिक्रमा करें। ध्यान करना विशेष फलदायी होता है।
  4. मंत्र जाप:
    बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि
    शांत स्थान पर बैठकर श्रद्धा से जाप करें।

Buddha Purnima की सम्पूर्ण जानकारी के लिए देखें यह वीडियो:

निष्कर्ष:

Buddha Purnima सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, ध्यान और मानवीय मूल्यों की ओर लौटने का अवसर है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में करुणा, संयम और जागरूकता के माध्यम से हम दुःखों से मुक्त हो सकते हैं।

तो आइए, इस Buddha Purnima पर हम सभी एक संकल्प लें
ज्ञान का दीप जलाएं, दया का मार्ग अपनाएं और अपने जीवन को प्रकाशमान बनाएं।

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