Buddha Purnima केवल भगवान बुद्ध के जन्म की वर्षगांठ नहीं है, बल्कि यह दिन उनके जीवन की तीन सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं का प्रतीक है — जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण। यही कारण है कि यह दिन बौद्ध अनुयायियों के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। भगवान बुद्ध ने जिस दिन जन्म लिया, उसी दिन उन्होंने बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था, और वर्षों बाद इसी तिथि को उन्होंने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया।
हर वर्ष वैशाख माह की पूर्णिमा को यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और साधना के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में Buddha Purnima 12 मई को पड़ेगी। इस बार का पर्व और भी विशेष है, क्योंकि इस दिन का ज्योतिषीय संयोग अत्यंत शुभ माना जा रहा है। ऐसे योगों में ध्यान, दान और पुण्य का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।
भगवान बुद्ध ने जीवन को समझने और उसे सुधारने की दिशा में अनेक मार्गदर्शन दिए। उनके उपदेश आज भी मानवता के लिए दीपस्तंभ हैं।
यह मार्ग आत्मविकास और आत्मबोध का जरिया है, जो अंततः परम शांति की ओर ले जाता है। भगवान बुद्ध का विश्वास था कि हर इंसान अपने कर्मों के बल पर स्वयं को बदल सकता है। उन्होंने कर्म के सिद्धांत को भी बल दिया — जैसा कर्म, वैसा फल। इस शिक्षा के कारण बुद्ध का दर्शन व्यक्तिगत जिम्मेदारी, नैतिक आचरण और सहानुभूति का प्रतीक बन गया।
Buddha Purnima सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, ध्यान और मानवीय मूल्यों की ओर लौटने का अवसर है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में करुणा, संयम और जागरूकता के माध्यम से हम दुःखों से मुक्त हो सकते हैं।
तो आइए, इस Buddha Purnima पर हम सभी एक संकल्प लें —
ज्ञान का दीप जलाएं, दया का मार्ग अपनाएं और अपने जीवन को प्रकाशमान बनाएं।
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