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Bhai Dooj 2024: कब है भाईदूज – 2 या 3 नवंबर? जानें तिलक का सही समय

Posted On: October 22, 2024

रक्षाबंधन जैसा एक और त्योहार है जो भाई-बहन के बीच प्यार और बंधन के लिए जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं भाईदूज त्योहार की। यह त्योहार दिवाली के बाद मनाया जाता है और इसे ‘भाई फोंटा’, ‘भाई टीका’, ‘भाऊ बीज’ और ‘यमद्वितीया’ जैसे कई नामों से जाना जाता है। यह त्यौहार रक्षाबंधन के समान है क्योंकि इस दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन पर आमंत्रित करती हैं और अनुष्ठान करती हैं जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन लेते हैं। Bhai Dooj 2024 में 3 नवंबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार भव्य दिवाली त्योहार के 5वें दिन पड़ता है। इस प्रकार यह दिवाली त्योहार के अंत का भी प्रतीक है। भाई दूज भाई-बहन के बीच के शाश्वत बंधन को मजबूत करता है। इसका गहरा इतिहास और धार्मिक महत्व है।

Bhai Dooj 2024: कब है भाईदूज - 2 या 3 नवंबर? जानें तिलक का सही समय

Bhai Dooj 2024 की तिथि और समय

2024 में भाई दूज 3 नवंबर को मनाया जाएगा। यह हिंदू कैलेंडर में कार्तिक माह के उज्ज्वल पक्ष के दूसरे दिन होता है और इसका प्रारम्भ 2 नवंबर को रात 20:21 बजे से रात्रि 22:05 बजे तक होगा। तिलक का शुभ समय 3 नवंबर को दोपहर 13:10 से 15:22 तक है।

Bhai Dooj 2024 की पूजा विधि

इस दिन बहनों को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद उन्हें साफ कपड़े पहनने चाहिए। एक थाली में कुमकुम, चंदन, अक्षत, रोली, सुपारी, मिठाई और गोला रखें। इसके बाद अपने भाई को एक चौकी पर बिठाएं। इसके बाद उनके माथे पर तिलक लगाएं और उन्हें नारियल दें। अंत में उन्हें मिठाई खिलाएं और उनकी आरती उतारें। भाई बहन के पैर छूकर उसका आशीर्वाद लेता है और अपनी बहनों को उपहार देता है। कुछ क्षेत्रों में बहनें अपने भाई के हाथों में कलावा बांधती हैं तो कुछ जगहों पर केवल तिलक किया जाता है।

भाई दूज पर्व का महत्व

यह त्यौहार भाई-बहन के बीच सम्मान, प्यार और अंतहीन बंधन का प्रतिनिधित्व करता है। इस त्यौहार से धार्मिक कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं। कथाओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल की तृतीया तिथि के दौरान यम अपनी बहन से मिलने गए। वह अपनी बहन से मिले सम्मान से बहुत प्रभावित हुए और उन्होंने वरदान दिया कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से तिलक प्राप्त करेगा, उसे लंबे और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद मिलेगा। भाई दूज के त्योहार को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।

भाई दूज पर्व से जुड़ी कहानी

एक और कहानी यह है कि जब श्री कृष्ण नरकासुर का वध करने के बाद द्वारका लौटे, तो उनकी बहन ने उनके माथे पर टीका लगाकर और उनके स्वागत के लिए भोजन तैयार करके उनका स्वागत किया। कृष्ण ने अपनी बहन की रक्षा करने का वचन लिया और इस त्योहार की नींव रखी। इसी के चलते भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है।

इस तरह के अनुष्ठान परिवार को करीब रखने और भाई-बहन के बंधन को मजबूत करने में मदद करते हैं। धार्मिक महत्व भावी पीढ़ियों के लिए भी मूल्य बढ़ाता है। यह त्योहार दिवाली त्योहार का एक हिस्सा है, इसलिए इसे अपने भाई-बहनों के साथ मनाने की खुशी इस अवसर का महत्व बढ़ा देती है। इस त्योहार पर बहनें अपने भाइयों को सूखा नारियल देती हैं क्योंकि यह शुभता का प्रतीक है।

Bhai Dooj 2024 की सम्पूर्ण जानकारी के लिए देखें यह वीडियो:

निष्कर्ष

भाई दूज एक पवित्र त्योहार है जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। बहनें अपने भाइयों को नरियल खिलाकर उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं। भारत में भाई दूज को अलग-अलग नामों से जाना जाता है लेकिन उनके मूल्य वही रहते हैं। साथ ही, यह दिवाली त्योहार के अंत का प्रतीक है। किसी भी अन्य त्यौहार की तरह, भाई दूज भी हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

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